रोज़ हम सोते है , रोज़ सपने आते है , रोज़ हम उठते है , रोज़ गिर जाते है............ पुनीत शर्मा
Thursday, December 16, 2010
Question Mark - पुनीत शर्मा
सवाल पूछते है दोस्त
जवाब माँगते है दुश्मन
और हम है कि
अंग्रेजी के ? बन के बैठे है
झुकाए हुए कमर,
ताकते हुए ज़मीन को,
पेट को पकड़ कर
हाँफे जा रहे है
मालूम नही,
कहाँ से भागे आ रहे है
सवाल पूछते है दोस्त
जवाब माँगते है दुश्मन
और हम है कि
अंग्रेजी के ? बन के बैठे है
एक बिंदु
जो शायद
फुल स्टॉप है
खडे़ है उस पर
नही , हम फुल स्टॉप की जमीन पर
खडे़ नही
उससे कुछ उँचा उड़ रहे है
झुकाए हुए कमर,
ताकते हुए ज़मीन को,
पेट को पकड़ कर
हाँफे जा रहे है
मालूम नही,
कहाँ से भागे आ रहे है
सवाल पूछते है दोस्त
जवाब माँगते है दुश्मन
और हम है कि
अंग्रेजी के ? बन के बैठे है
जिस भी बात मे
जिंक्र होता है हमारा
उसके आखिर मे
हम
सवालिया निशान बन के खडे़ हो जाते है
नही , हम फुल स्टॉप की जमीन पर
खडे़ नही
उससे कुछ उँचा उड़ रहे है
झुकाए हुए कमर,
ताकते हुए ज़मीन को,
पेट को पकड़ कर
हाँफे जा रहे है
मालूम नही,
कहाँ से भागे आ रहे है
सवाल पूछते है दोस्त
जवाब माँगते है दुश्मन
और हम है कि
अंग्रेजी के ? बन के बैठे है
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